"प्यार तो तुमसे करता हूँ पर इज़हार करूँ तो कैसे
तुम्हारा दीदार तो करता हूँ पर आँखे चार करूँ तो कैसे
रूप तुम्हारा सलोना हैं ऐसा की तुमसा सुन्दर कोंई नहीं
तुम्हे देखकर लगता हैं तुम्हारा श्रृंगार करूँ तो कैसे !!!!"
बिखर गया हूँ इतना के जुड़ा नहीं जाता हसरतेे इतनी भी ना हो के दवा न लगे ना दिल को सुकून आया ना रूह रोयी मोहब्बतें इतनी भी न हो के दुआ न लग...
kya baat
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