सिर्फ चाह लेने भर से सब कुछ यहाँ नहीं मिलता ;
चाहे लुट जाये किसी का सब कुछ आसमां नहीं हिलता ;
खिल उठता है कमल कीचड़ में रह कर भी ;
फूल कोंई गुलशन में रह कर भी नहीं खिलता !!
चाहे लुट जाये किसी का सब कुछ आसमां नहीं हिलता ;
खिल उठता है कमल कीचड़ में रह कर भी ;
फूल कोंई गुलशन में रह कर भी नहीं खिलता !!
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