कभी अपनी..

कभी अपनी हंसी पर भी आता है गुस्सा,
कभी सारे जहाँ को हँसाने को जी चाहता है
कभी छुपा लेता है गमो को किसी कोने में ये दिल,
कभी किसी को सब कुछ सुनाने को जी चाहता है
कभी रोता नहीं मन किसी कीमत पर भी,
कभी युही आंसू बहाने को जी चाहता है
कभी अच्छा लगता है आज़ाद उड़ना,
कभी किसी बंधन में बंध जाने को जी चाहता है !!

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