अश्क..

पलकोँ की दहलीज पर, अश्क सा झिलमिलाता रहा..
तुम भी छिप-छिप कर रोते रहे, मैँ भी आंसू बहाता रहा...!!

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बिखर गया हूँ...

बिखर गया हूँ इतना के जुड़ा नहीं जाता हसरतेे इतनी भी ना हो के दवा न लगे ना दिल को सुकून आया ना रूह रोयी मोहब्बतें इतनी भी न हो के दुआ न लग...