बिखर गया हूँ...

बिखर गया हूँ इतना के जुड़ा नहीं जाता
हसरतेे इतनी भी ना हो के दवा न लगे
ना दिल को सुकून आया ना रूह रोयी
मोहब्बतें इतनी भी न हो के दुआ न लगे
मोहब्बत ए जुनूं कुछ ऐसा छाया
कीमते इतनी भी ना हो के मौका ना लगे
टूट कर लिखता हूँ तो हंस रहे है
ज़ख्म गहरा तो है पर लहू न निकले !

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बिखर गया हूँ...

बिखर गया हूँ इतना के जुड़ा नहीं जाता हसरतेे इतनी भी ना हो के दवा न लगे ना दिल को सुकून आया ना रूह रोयी मोहब्बतें इतनी भी न हो के दुआ न लग...