न चिराग़...

न चिराग़ बुझते, न बुझती शमाँऐं देखो
इश्क़ में अंधे का ये सहारा देखो...

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बिखर गया हूँ...

बिखर गया हूँ इतना के जुड़ा नहीं जाता हसरतेे इतनी भी ना हो के दवा न लगे ना दिल को सुकून आया ना रूह रोयी मोहब्बतें इतनी भी न हो के दुआ न लग...